मुसाफ़िर हो तो

मुसाफ़िर हो तो सुन लो राह में सहरा भी आता है निकल आए हो घर से क्या तुम्हें चलना भी आता है

मैं अपने शब्दों की

मैं अपने शब्दों की बारात लाऊंगा,तुम अपनी ग़ज़ल को घूंघट में रखना|

भुजाओं की ताकत

भुजाओं की ताकत खत्म होने पर, इन्सान हथेलियों में भविष्य ढूंढता है।

इकतरफ़ा इश्क़

इकतरफ़ा इश्क़ का अपना ही है मज़ा अपना ही गुनाह है अपनी ही सज़ा

बेमौत मर गए

बेमौत मर गए दोनों….. मैं और मेरी ख्वाइश.

मुझे मालूम है

मुझे मालूम है मेरी किस्मत में नहीं हो तुम लेकिन ..। मेरे मुकद्दर से छुपकर मेरे एक बार हो जाओ ..।

मिलन की रुत से

मिलन की रुत से मुहोब्बत को तराशने वालों, अकेले बैठ के रोना भी प्यार होता हैं..!!

मेरी ज़िन्दगी में

मेरी ज़िन्दगी में खुशियाँ तेरे बहाने से हैं .. आधी तुझे सताने से हैं, आधी तुझे मनाने से हैं…

मतलब निकल जाने पर

मतलब निकल जाने पर पलट के देखा भी नही रिश्ता उनकी नज़र में कल का अखबार हो गया…..!!

बस यूँ ही

बस यूँ ही लिखता हूँ वजह क्या होगी .. राहत ज़रा सी आदत ज़रा सी ..

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