जुल्म के सारे हुनर हम पर यूँ आजमाये गये… जुल्म भी सहा हमने और जालिम भी कहलाये गये !!
Category: शर्म शायरी
मेरे दुश्मन कहते हे
मेरे दुश्मन कहते हे…..तेरे पास ऐसा क्या हे जिससे तेरे नाम का चर्चा है… मेने भी कह दिया की भाई दिल नरम और दिमाग गरम है….
फरेबी भी हूँ
फरेबी भी हूँ ज़िद्दी भी हूँ और पत्थर दिल भी हूँ…..!!!! मासूमियत खो दी है मैंने वफ़ा करते-करते……!!!!!
हल्की-फुल्की सी है
हल्की-फुल्की सी है जिंदगी… बोझ तो ख्वाहिशों का है…
ईश्क की गहराईयों मे
ईश्क की गहराईयों मे मौजूद क्या है… बस मैं हूँ,तुम हों,और कुछ की जरूरत क्या है…
आखरी साँस बाकी
आखरी साँस बाकी है।। आ रहे हो या ले लू।।
रात भर फोन
रात भर फोन की डिस्प्ले पे चलाई उँगली उनके रुख़सार से जुल्फ़ों को हटाने के लिए
कभी बेवजह भी
कभी बेवजह भी कुछ ना कुछ खरीद लिया करो दोस्तों.. ये वो खुद्दार लोग है जो भिख नही मांगते
हम इश्क के
हम इश्क के मारो का इतना सा फसाना है संग रोने को कोई नही हमपे हसने को जमाना है
अमीरी भी क्या चीज़ है
अमीरी भी क्या चीज़ है कुत्ते, बिल्ली, तोता खुद पालते है और खुद के बच्चे आया पालती है