उसने कहा हम दिन और रात जैसे है, कभी एक नही हो सकते..!! मैंने कहा आओ शाम को मिलते है….!
Category: लव शायरी
सच को तमीज़ ही नहीं
सच को तमीज़ ही नहीं बात करने की, झूठ को देखो कितना मीठा बोलता है !!
अपनी रचनाओं में
अपनी रचनाओं में वो ज़िंदा है नूर संसार से गया ही नहीं…
अब न वो
अब न वो मैं न वो तू है न वो माज़ी है, जैसे दो साए तमन्ना के सराबों में मिलें…
अब्र बरसते तो
अब्र बरसते तो इनायत उस की शाख़ तो सिर्फ़ दुआ करती है | शाम पड़ते ही किसी शख़्स की याद कूचा-ए-जाँ में सदा करती है | मसअला जब भी चराग़ों का उठा फ़ैसला सिर्फ़ हवा करती है | दुख हुआ करता है कुछ और बयाँ बात कुछ और हुआ करती है ||
सोचो तो सिलवटों से
सोचो तो सिलवटों से भरी है तमाम रूह, देखो तो इक शिकन भी नहीं है लिबास में…
मँज़िले बड़ी ज़िद्दी होती हैँ
मँज़िले बड़ी ज़िद्दी होती हैँ , हासिल कहाँ नसीब से होती हैं ! मगर वहाँ तूफान भी हार जाते हैं , जहाँ कश्तियाँ ज़िद पर होती हैँ !
मुस्कान को महफ़िल
मुस्कान को महफ़िल चाहिये औऱ आँसू ढूंढते हैँ तन्हाई.. दुनिया के बाज़ार में सब को वफ़ा चाहिये.. नहीँ चाहता है कोई वेबफाई.. चले थे सकूँ ढूँढने उल्टा चैन भी खो बैठे हैँ.. कभी सोया करते थे जो बेफ़िक्र होकर … इश्क़ मेँ क्या डूबे अब आँखों से नींद को भी धो बैठे हैँ..
ज़रा अल्फ़ाज़ के
ज़रा अल्फ़ाज़ के नाख़ून तराशों बहुत चुभते है……. जब नाराज़गी से बातें करती हो….!!
ये सफ़र से..
ये सफ़र से.. ख़ुद से ख़ुद में था लोग समझे शहर से शहर बदला !!