रात हुई जब

रात हुई जब शाम के बाद! तेरी याद आई हर बात के बाद! हमने खामोश रहकर भी देखा! तेरी आवाज़ आई हर सांस के बाद!

अपने दिल की

अपने दिल की बात उनसे कह नहीं सकते, बिन कहे भी जी नहीं सकते, ऐ खुदा! ऐसी तकदीर बना, कि वो खुद हम से आकर कहे कि, हम आपके बिना जी नही सकते…

भटकते रहे हैं

भटकते रहे हैं बादल की तरह; सीने से लगालो आँचल की तरह; गम के रास्ते पर ना छोड़ना अकेले वरना टूट जाएँगे पायल की तरह।

बड़ी मुश्किल से

बड़ी मुश्किल से सीखा है, खुश रहना उसके बगैर….!!अब सुना है, ये बात भी उसे परेशान करती हैं!!!!!

शायद कुछ दिन

शायद कुछ दिन और लगेंगे, ज़ख़्मे-दिल के भरने में, जो अक्सर याद आते थे वो कभी-कभी याद आते हैं।

कोई सवाल करेगा

कोई सवाल करेगा तो क्या कहूँगा उसे,,बिछड़ने वाले, सबब तो बता जुदाई का

तेरी वफ़ा के खातिर

तेरी वफ़ा के खातिर ज़लील किया तेरे शहर के लोगों ने.. इक तेरी कदर न होती तो तेरा शहर जला देते..

ये न पूछ

ये न पूछ के शिकायतें कितनी है तुझसे ये बता के तेरा और कोई सितम बाकी तो नहीं …!!!

लाजमी नही है

लाजमी नही है की हर किसी को मौत ही छूकर निकले “” किसी किसी को छूकर जिंदगी भी निकल जाती है ||

एक तज़ुर्बा है

हर एक लकीर एक तज़ुर्बा है जनाब .. .. झुर्रियाँ चेहरों पर यूँ ही आया नहीं करती !!

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