गुज़री तमाम उम्र

गुज़री तमाम उम्र उसी शहर में जहाँ… वाक़िफ़ सभी थे कोई पहचानता न था..

तुम नफरतों के धरने

तुम नफरतों के धरने,क़यामत तक ज़ारी रखो। मैं मोहब्बत से इस्तीफ़ा,मरते दम तक नहीं दूंगा।

तुम्हारी खुशियों के

तुम्हारी खुशियों के ठिकाने बहुत होंगे, मगर हमारी बेचैनियों की वजह बस तुम हो |

भ्रम है केवल

भ्रम है केवल चश्म का, या बदले की रेस। चित्त बदलते हैं कभी, कभी बदलते फेस।।

नब्ज़ में नुकसान

नब्ज़ में नुकसान बह रहा है लगता है दिल में इश्क़ पल रहा है…!!

किसी को चाहना

किसी को चाहना ऐसा की वो रज़ा हो जाए… जीना जीना ना रहे एक सज़ा हो जाए… ख़ुद को क़त्ल करना भी एक शौक़ लगे… हो ज़ख़्मों में दर्द इतना की दर्द मज़ा हो जाए…

इन जागी आँखों पे

इन जागी आँखों पे लिपटी आँसुओं की चादर… तेरे तोहफ़ों ने हमसफ़र हमें ‘सफ़र’ बना दिया…

काम आ सकीं

काम आ सकीं न अपनी वफ़ाएँ तो क्या करें उस बेवफ़ा को भूल न जाएँ तो क्या करें

किसी मोहब्बत वाले

किसी मोहब्बत वाले वकील से ताल्लुक हो तो बताना दोस्तों … मुझे अपना महबूब अपने नाम करवाना है?

मिठास रिश्तों में

मिठास रिश्तों में बढ़ाएं तो कोई बात बने… मिठाईयां तो हर साल मीठी ही बनती है…

Exit mobile version