वाह रे जमाने तेरी हद हो गई, बीवी के आगे माँ रद्द हो गई ! बड़ी मेहनत से जिसने पाला, आज वो मोहताज हो गई ! और कल की छोकरी, तेरी सरताज हो गई ! बीवी हमदर्द और माँ सरदर्द हो गई ! वाह रे जमाने तेरी हद हो गई.!! पेट पर सुलाने वाली, पैरों… Continue reading वाह रे जमाने
Category: प्रेरणास्पद कविता
प्रेम से देती है
प्रेम से देती है, वह है “बहन” झगङकर देता है, वह है “भाई” पुछकर देता है, वह है “पिताजी” और बिना माँगे सबकुछ दे देती है वह है…”माँ’”
ऊपर जिसका अंत
ऊपर जिसका अंत नही उसे आंसमा कहते हैं और इस जंहा मे जिसका अंत नही उसे मां कहते हैं
मज़हब पता चला
मज़हब पता चला जो मुसाफ़िर कि लाश का.. चुप चाप आधी भीड़ घरों को चली गयी…!!”
स्वर्ग में सीढ़ी
स्वर्ग में सीढ़ी लगाने की अभिलाषा खत्म हो गयी चाहे साथ ही मेरे ….. चाँद की पगडंडी से देखा हैं अपना वजूद मैंने अग्नि भेंट होता भी …. पर मैं आज भी ज़िंदा हू हमेशा ज़िंदा रहूँगा तेरे दिलो दिमाग अंदर ….!!
प्रतिशत पसीना है
प्रतिभा एक प्रतिशत प्रेरणा और निन्यानबे प्रतिशत पसीना है.
मंजिल भी मिलेगी
मुश्किलें केवल बहतरीन लोगों के हिस्से में ही आती हैं…!! क्यूंकि वो लोग ही उसे बेहतरीन तरीके से अंजाम देने की ताकत रखते हैं..!! “रख हौंसला वो मंज़र भी आयेगा; प्यासे के पास चलकर समंदर भी आयेगा..! थक कर ना बैठ ए मंजिल के मुसाफ़िर; मंजिल भी मिलेगी और जीने का मजा भी आयेगा…!!”
तकलीफ़ लोगों
ज़हर का सवाल नहीं था वो तो में पी गया तकलीफ़ लोगों को ये थी की में जी गया ।
मरने के लिए
जहर … मरने के लिए थोडा सा.. ! लेकिन जिंदा रहने के लिए ……. बहुत सारा पीना पड़ता है
रात रोने से
रात रोने से कब घटी साहब बर्फ़ धागे से कब कटी साहब सिर्फ़ शायर वही हुए जिनकी ज़िंदगी से नहीं पटी साहब..