मुख्तसर सी जिंदगी मेरी तेरे बिन बहुत अधूरी है, इक बार फिर से सोच तो सही की क्या तेरा खफा रहना बहुत जरूरी है ….
Category: प्यार शायरी
हर घड़ी ख़ुद से
हर घड़ी ख़ुद से उलझना है मुक़द्दर मेरा मैं ही कश्ती हूँ मुझी में है समंदर मेरा किससे पूछूँ कि कहाँ गुम हूँ बरसों से हर जगह ढूँधता फिरता है मुझे घर मेरा एक से हो गए मौसमों के चेहरे सारे मेरी आँखों से कहीं खो गया मंज़र मेरा मुद्दतें बीत गईं ख़्वाब सुहाना देखे… Continue reading हर घड़ी ख़ुद से
तुम्हारी खुशियों के ठिकाने
तुम्हारी खुशियों के ठिकाने बहुत होंगे, मगर हमारी बेचैनियों की वजह बस तुम हो|
इश्क़ के क़ाबिल
हम ही उस के इश्क़ के क़ाबिल न थे क्यूँ किसी ज़ालिम का शिकवा कीजिए |
वो शख़्स जो
वो शख़्स जो आज मुहब्बत के नाम से बौखला गया, किसी जमाने में एक मशहूर आशिक़ हुआ करता था|
हम जिसके साथ
हम जिसके साथ वक्त को भूल जाते थे, वो वक्त के साथ हमको भूल गया…!!
अलविदा कहने में
अलविदा कहने में उसने जिंदगी का एक पल खोया…. हमने एक पल में पूरी जिंदगी खो दी|
पहले भी था
पहले भी था अब भी है इश्क़ हमारा बाग़ का चौकीदार हो गया|
एक हँसती हुई परेशानी
एक हँसती हुई परेशानी, वाह क्या जिन्दगी हमारी है।
ख़लिश और कशिश
ख़लिश और कशिश में ज़िन्दगी और मौत सा अंतर होता है ।