सितारे भी जाग रहे हो

सितारे भी जाग रहे हो रात भी सोई ना हो… ऐ चाँद मुझे वहाँ ले चल जहाँ उसके सिवा कोई ना हो |

पत्थर के सनम

क़िस्सा बन सकते थे

ख़्वाब जज़ीरा बन सकते थे, नहीं बने, हम भी क़िस्सा बन सकते थे, नहीं बने….!!

नज़र उसकी चुभती है

नज़र उसकी चुभती है दिल में कटार की तरह तड़प कर रह जाता हूँ मैं किसी लाचार की तरह उसकी मुलाकात दिल को बड़ा सुकून देती है उससे मिल कर दिन गुज़रता है त्योहार की तरह|

काश महोब्बत् मे

काश महोब्बत् मे चुनाव होते, गजब का भाषण देते तुम्हे पाने के लिये

हम कितने दिन जिए

हम कितने दिन जिए ये जरुरी नहीं हम उन दिनों में कितना जिए ये जरुरी है|

सज़दा कीजिये या

सज़दा कीजिये या मांगिये दुआये.. जो आपका है ही नही वो आपको मिलेगा भी नही..

मंजिल पर पहुंचकर

मंजिल पर पहुंचकर लिखूंगा मैं इन रास्तों की मुश्किलों का जिक्र, अभी तो बस आगे बढ़ने से ही फुरसत नही..

बता किस कोने में

बता किस कोने में, सुखाऊँ तेरी यादें, बरसात बाहर भी है, और भीतर भी है..

गुज़री तमाम उम्र

गुज़री तमाम उम्र उसी शहर में जहाँ… वाक़िफ़ सभी थे कोई पहचानता न था..

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