लफ़्ज़ों के इत्तेफाक़ में

लफ़्ज़ों के इत्तेफाक़ में,यूँ बदलाव करके देख, तू देख कर न मुस्कुरा,बस मुस्कुरा के देख।।

सादा सा एक वादा है

सादा सा एक वादा है उन आँखों का … बंद हों तब भी तुम्हें देखेंगे.. !!!!!!!!!!

बड़े सपनो की

बड़े सपनो की चर्चा कभी छोटी सोच वालो से मत करो !!!

मत कर हिसाब

मत कर हिसाब तूं मेरी मोहब्बत का, नहीं तो ब्याज में ही तेरी जिन्दगी गुजर जायेगी

मतलब निकल जाने पर

मतलब निकल जाने पर पलट के देखा भी नहीं, रिश्ता उनकी नज़र में कल का अखबार हो गया !!

पूछ रही है

पूछ रही है आज मेरी शायरियाँ मुझसे कि, कहा उड़ गये वो परिंदे जो वाह वाह किया करते थे ?

कितने तोहफे देती है

कितने तोहफे देती है ये मोहब्बत भी यार, दुःख अलग रुस्वाई अलग, जुदाई अलग तन्हाई अलग…

गुलाब खिलते रहे

गुलाब खिलते रहे ज़िंदगी की राह् में, हँसी चमकती रहे आप कि निगाह में. खुशी कि लहर मिलें हर कदम पर आपको, देता हे ये दिल दुआ बार–बार आपको…

किसी सूरत से

किसी सूरत से मेरा नाम तेरे साथ जुड़ जाये इजाज़त हो तो रख लूँ मैं तख़ल्लुस ‘जानेजां ‘अपना

मुड़ के देखा तो

मुड़ के देखा तो है इस बार भी जाते जाते प्यार वो और जियादा तो जताने से रहा दाद मिल जाये ग़ज़ल पर तो ग़नीमत समझो आशना अब कोई सीने तो लगाने से रहा|

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