तुम्हारा जिक्र हूआ तो महफिल तक छोड़ आए हम गैरो के लबों पर हमें तो तुम्हारा नाम तक अच्छा नही लगता !!
Author: pyarishayri
शीशे में डूब
शीशे में डूब कर पीते रहे उस जाम को कोशिशें की बहुत मगर भुला न पाए एक नाम को…
सङक पर निकल आता
मैं अक्सर रात में यूं ही सङक पर निकल आता हूँ यह सोचकर.. कि कहीं चांद को तन्हाई का अहसास न हो …
दिखावे की मोहब्बत
दिखावे की मोहब्बत से बेहतर है दिल से नफरत किजिये हमसे… हम सच्चे जज्बातो की बडी कदर करते हैं
किस्मतवालों को ही
किस्मतवालों को ही मिलती है पनाह दोस्तों के दिल मे…. यूँ ही हर शख्स तो जन्नत का हक़दार नहीं होता….
आग लगी थी
आग लगी थी मेरे घर को, किसी सच्चे दोस्त ने पूछा..! क्या बचा है ? मैने कहा मैं बच गया हूँ..! उसने हँस कर कहा फिर साले जला ही क्या है..
जिसे शिद्दत से
जिसे शिद्दत से चाहो, वो मुद्दत से मिलता है ..। बस मुद्दत से ही नहीं मिला कोई शिद्दत से चाहने वाला
तेरी हसरत मुझे
तेरी हसरत,मुझे आज फिर छत पर ले आई है.. मांग लूंगा तुझे, किसी टूटते हुए सितारे से..
ए दुश्मनो उठाओ हाथ
ना तबीबों की तलब है न दुआ मांगी है नी मैं जां हु बस तेरे दामन की हवा मांगी है ए दुश्मनो उठाओ हाथ मांगो जिन्दगी मेरी। क्यों की दोस्तों ने मेरे मरने की दुआ मांगी है
बचपन में जब
बचपन में जब चाहा हँस लेते थे, जहाँ चाहा रो सकते थे. अब मुस्कान को तमीज़ चाहिए, अश्कों को तनहाई ..