दिल बेजुबान है तो क्या, तुम यूँ ही तोड़ते रहोगे..?!
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कागज़ की नाव
बस इतनी सी बात समंदर को खल गईं, एक कागज़ की नाव मुझ पर कैसे चल गई!
तुम शराफत को
तुम शराफत को बाजार मे न लाया करो , ये वो सिक्का है जो कभी बाजार मे चला ही नही । अक्सर दिमाग वालों ने दिलवालो का इस्तेमाल ही किया है ।
अजीब सा दर्द
अजीब सा दर्द है इन दिनों यारों, न बताऊं तो ‘कायर’, बताऊँ तो ‘शायर’।।
शुक्र करो कि
शुक्र करो कि दर्द सहते हैं, लिखते नहीं….!! वर्ना कागजों पे लफ्जों के जनाजे उठते…
हर रात एक
हर रात एक नाम याद आता है, कभी कभी सुबह शाम याद आता है, सोच रहा हू कर लूँ दूसरी मोहब्बत, पर फिर पहली मोहब्बत का अंजाम याद आता है..!!
चेहरे गुलाब नहीं होते
जाने क्यूँ अब शर्म, से चेहरे गुलाब नहीं होते। जाने क्यूँ अब, मस्त मौला मिजाज नहीं होते। पहले बता दिया करते थे, दिल की बातें। जाने क्यूँ अब चेहरे, खुली किताब नहीं होते।
तारीफ़ करें खुदा
औकात क्या जो लिखूं नात आका की शान में। खुद तारीफ़ करें खुदा मुस्तफ़ा की कुरान में। और कीड़े पड़ेंगे देखना तुम उसकी ज़बान में। गुस्ताख़ी करता हैं जो मेरे आका की शान मे।
नतीजो को इनाम
दुनिया सिर्फ नतीजो को इनाम देती कोशिशो को नही.
माँ-बाप घर पर है
वो अनजान चला है जन्नत को पाने की खातिर बेख़बर को इत्तला कर दो की माँ-बाप घर पर है|