मुझे मजबूर करती हैं यादें तेरी वरना… शायरी करना अब मुझे अच्छा नहीं लगता।
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उसको मालूम कहाँ
उसको मालूम कहाँ होगा, क्या ख़बर होगी, वो मेरे दिल के टूटने से बेख़बर होगी, वक़्त बीतेगा तो ये घाव भर भी जाएँगे, पर ये थोड़ी सी तो तकलीफ़ उम्र भर होगी…
हम रोऐ भी ….
हम रोऐ भी …..तो वो जान ना सके…. और वो ….उदास भी हुऐ …..तो हमें खबर हो गई|
उस रास्ते पर
भीड़ हमेशा उस रास्ते पर चलती है जो रास्ता आसान होता है लेकिन यह जरुरी नहीं कि भीड़ हमेशा सही रास्ते पर चले इसलिए आप अपने रास्ते खुद चुनिए क्योंकि आपको आपसे बेहतर और कोई नहीं जानता..
हमारी इस अधूरी कहानी में
हमारी इस अधूरी कहानी में वफ़ा के सबूत मत माँग मुझसे, मैंने तेरी ख़ातिर वो आँसु भी बहाए है जो तेरी आखों में थे…
एक मुनासिब सा
एक मुनासिब सा नाम रख दो तुम मेरा.., रोज़ ज़िन्दगी पूछती है रिश्ता तेरा मेरा|
जाने क्या टूटा है
जाने क्या टूटा है पैमाना कि दिल है मेरा बिखरे-बिखरे हैं खयालात मुझे होश नहीं|
ये हादसा तो
ये हादसा तो किसी दिन गुज़रने वाला था मैं बच भी जाता तो इक रोज़ मरने वाला था
हमारी मोहब्बत करने की
हमारी मोहब्बत करने की अदा कुछ और ही है , हम याद करते है उसको जिसने हमें दिल से निकाल रखा है…
दर्द से हाथ न मिलाते
दर्द से हाथ न मिलाते तो और क्या करते! गम के आंसू न बहते तो और क्या करते! . उसने मांगी थी हमसे रौशनी की दुआ! हम खुद को न जलाते तो और क्या करते!