उल्टी हो गईं सब तदबीरें कुछ न दवा ने काम किया देखा इस बीमारी-ए-दिल ने आख़िर काम तमाम किया|
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पता नही होश मे हूँ..
पता नही होश मे हूँ.. या बेहोश हूँ मैं…. पर बहूत सोच समझकर खामोश हूँ मैं..!!
बहुत देर करदी
बहुत देर करदी तुमने मेरी धडकनें महसूस करने में..! . वो दिल नीलाम हो गया, जिस पर कभी हकुमत तुम्हारी थी..!
तेरी ख़ुशी की खातिर
तेरी ख़ुशी की खातिर मैंने कितने ग़म छिपाए….., अगर….,, . मैं हर बार रोता तो सारा शहर डूब जाता….
वो इस तरह
वो इस तरह मुस्कुरा रहे थे , जैसे कोई गम छुपा रहे थे……! . बारिश में भीग के आये थे मिलने, शायद वो आंसु छुपा रहे थे…!!
सारे मुसाफिरों से
सारे मुसाफिरों से ताल्लुक निकल पड़ा गाड़ी में इक शख्स ने अखबार क्या लिया…
इश्क का समंदर
इश्क का समंदर भी क्या समंदर है, जो डूब गया वो आशिक जो बच गया वो दीवाना…
चाँद बताने के वास्ते
अपने दिए को चाँद बताने के वास्ते, . बस्ती का हर चराग बुझाना पड़ा हमे
यूँ ही नहीं होती
यूँ ही नहीं होती, जनाज़ों में भीड़ साहब…!! हर शख्स अच्छा है, बस दुनिया से चले जाने के बाद…!!
है याद मुलाकत की वो शाम..
है याद मुलाकत की वो शाम… अभी तक… तुझे भूलने में हूँ नाकाम अभी तक|