इनसान बनने की फुर्सत

इनसान बनने की फुर्सत ही नहीं मिलती, आदमी मसरूफ है इतना, ख़ुदा बनने में…!

आज फिर बैठे है

आज फिर बैठे है इक हिचकी के इंतज़ार में.. पता तो चले वो हमें कब याद करते है…

रिश्ते की गहराई

रिश्ते की गहराई अल्फाजो से मत नापो.. *सिर्फ एक सवाल सारे धागे तोड़ जाता है…!

रात ढलने लगी है

रात ढलने लगी है बदन थकान से चूर है…. ऐ ख़याल-ए-यार तरस खा सोने दे मुझे…..

अगर फुर्सत मिले तो

अगर फुर्सत मिले तो समझना मुझे भी कभी, तुम्हारी ही उलझनों मे तो उलझा था मैं उम्रभर !!

तेरा इश्क जैसे

तेरा इश्क जैसे प्याज था शायद। परते खुलती गयी आँसू निकलते गये॥

कभी जो लिखना

कभी जो लिखना चाहा तेरा नाम अपने नाम के साथ अपना नाम ही लिख पाये और स्याही बिखर गई…..

ये जिंदगी तेरे साथ हो …

ये जिंदगी तेरे साथ हो … ये आरजू दिन रात हो …. मैं तेरे संग संग चलूँ … तू हर सफर में मेरे साथ हो …..

आज नही तो कल

आज नही तो कल ये एहसास हो ही जायेगा….!!.. कि “नसीब वालो” को ही मिलते है फिकर करने वाले”

मुझे किसीसे नहीं

मुझे किसीसे नहीं अपने आप से है गिला, मैंने क्यूँ तेरी चाहत को जिन्दगी समझा|

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