ज़िंदगी में आईना..

ज़िंदगी में आईना..जब भी उठाया करो… पहले खुद देखो फिर दिखाया करो..

सहम उठते हैं

सहम उठते हैं कच्चे मकान, पानी के खौफ़ से, महलों की आरज़ू ये है की, बरसात तेज हो…

सीधी और साफ हो…

परवाह नहीं चाहे जमाना कितना भी खिलाफ हो, चलूँगा उसी राह पर जो सीधी और साफ हो…!

बैठ कर किनारे पर

बैठ कर किनारे पर मेरा दीदार ना कर मुझको समझना है तो समन्दर में उतर के देख !!

ज़िन्दगी के हाथ नहीं होते

ज़िन्दगी के हाथ नहीं होते लेकिन, कभी कभी वो ऐसा थप्पड़ मारती है जो पूरी उम्र याद रहता है !!

तू सचमुच जुड़ा है

तू सचमुच जुड़ा है गर मेरी जिंदगी के साथ, तो कबूल कर मुझको मेरी हर कमी के साथ !!!

कहाँ मिलता है

कहाँ मिलता है कभी कोई समझने वाला… जो भी मिलता है समझा के चला जाता है…

ये जो ज़िन्दगी की किताब

ये जो ज़िन्दगी की किताब है ये किताब भी क्या किताब है कभी एक हसीन सा ख्वाब है कभी जानलेवा अज़ाब है।

कोई ठुकरा दे तो

कोई ठुकरा दे तो हँसकर जी लेना, क्यूँकि मोहब्बत की दुनिया में ज़बरदस्ती नहीं होती|

सब सो गए अपना दर्द

सब सो गए अपना दर्द अपनो को सुना के, मेरा भी कोई अपना होता तो मुझे भी नीद आ जाती…

Exit mobile version