हमने ही सिखाया था

हमने ही सिखाया था उन्हें बाते करना, उनको आज हमारे लिये ही वक्त नहीं|

तुम्हें नींद नहीं आती तो

तुम्हें नींद नहीं आती तो , कोई और वजह होगी ! अब हर ऐब के लिये , कसूरवार इश्क तो नहीं …

कभी संभले तो

कभी संभले तो कभी बिखरते आये हम, ज़िंदगी के हर मोड़ पर ख़ुद में सिमटते आये हम…

छुपे छुपे से

छुपे छुपे से रहते हैं सरेआम नहीं हुआ करते, कुछ रिश्ते बस एहसास होते हैं उनके नाम नहीं हुआ करते|

बहते हैं आँसूं तो

बहते हैं आँसूं तो मुस्कुराता हूँ मैं यूँ भी तो तेरी यादें बाहर आए कभी…

मिटा दिये हैं

मिटा दिये हैं सभी फासले…..तुम्हारी मोहब्बत ने.. मेरा दिमाग धड़कता है…… मेरे दिल की तरह |

दामन को फैलाये बैठे हैं

दामन को फैलाये बैठे हैं अलफ़ाज़-ए-दुआ कुछ याद नही माँगू तो अब क्या माँगू जब तेरे सिवा कुछ याद नही|

क़ैद हो जाती है

जहाँ कमरों में क़ैद हो जाती है ‘जिंदगी’ लोग उसे शहर कहते हैं…!!

काम किसी के

काम किसी के आये इंसान उसे कहते हैं, दर्द पराया उठा सके इंसान उसे कहते हैं, दुनियाँ एक पहेली कहीं धोखा कहीं ठोकर, गिर के जो संभल जाये इंसान उसे कहते हैं।

दिल में है कुछ

दिल में है कुछ खलबली, मन में अंतर्द्वन्द्व। राह अनेकों हैं मग़र, सबकी सब हैं बन्द।।

Exit mobile version