नजर झुका के जब भी वो,गुजरे है करीब से…. हम ने समझ लिया की आज का आदाब अर्ज हो गया.
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तेरी यादो की उल्फ़त
तेरी यादो की उल्फ़त से सजी हे महफिल मेरी… में पागल नही हूँ जो तुझे भूल कर वीरान हो जाऊ…
हमारा भी खयाल कीजिये
हमारा भी खयाल कीजिये कही मर ही ना जाये हम, बहुत ज़हरीली हो चुकी है अब ये खामोशीयां आपकी…
उनके रूठ जाने में
उनके रूठ जाने में भी एक राज़ है साहब, वो रूठते ही इसलिए है की कहीं अदायें न भूल जाएं।।
मेरा सर झुक जाये…
कुछ विश क़ुबूल आखिर इस क़दर हो जाये… बारगाह में तेरी फिर से मेरा सर झुक जाये…
कटता नहीं है
कटता नहीं है बिन तेरे लम्हा-दो-लम्हा मेरे, जाने क्या सोच के उम्र भर का फैसला किया..
क्या खूब अदा है
आपके चलने की भी क्या खूब अदा है तेरे हर कदम पे एक दिल टूटता है|
कब तक समझाऊं
कब तक समझाऊं यूँ बहाना तिनके का करके लो आज कहता हूँ ये आँसू तेरी याद के है|
मतलबी दुनिया के
मतलबी दुनिया के लोग खड़े है, हाथों में पत्थर लेकर……..!! मैं कहाँ तक भागूं, शीशे का मुकद्दर लेकर…………..!!
तूझमे और मूझमे
तूझमे और मूझमे फरक तो इतना सा है, मै थोड़ासा पागल हूं, और मूझे पागल बनाया तूने है.