चाँद का हुस्न

चाँद का हुस्न भी ज़मीन से है,चाँद पर चाँदनी नहीं होती।

मुझसे जब भी मिलो

मुझसे जब भी मिलो तो नज़रें उठा के मिला करो, मुझे पसंद है अपने आप को तेरी आँखों में देखना..

पसंद ना आये

पसंद ना आये मेरा साथ , तो बता देना, महसूस भी न कर पाओगे , उतना दूर चला जाऊंगा|

मेरे अश्कों के दरिया में

मेरे अश्कों के दरिया में, कभी ग़र डूब भी जाओ… वफ़ा तिनका ही सही मेरी , किनारे खींच लाएगी|

उम्र भर चलते रहे

उम्र भर चलते रहे मगर कंधो पे आए कब्र तक, बस कुछ कदम के वास्ते गैरों का अहसान हो गया..!!

दुख में मत घबराना

दुख में मत घबराना पंछी, ये जग दुख का मेला है। चाहे भीड़ बहुत है जंगल में, उड़ना तुझे अकेला है।

कभी शाम होने के बाद

कभी शाम होने के बाद…..मेरे दिल में आकर देखना, खयालों की महफिल सजी होती है और जिक्र सिर्फ तुम्हारा होता है|

दिखते हैं पर

दिखते हैं पर नजर नहीं आते , कुछ लोग कितने दूर हो जाते हैं|

उम्र भर तुझसे

उम्र भर तुझसे बिछड़ने की कसक ही न गयी , कौन कहता है की मुहब्बत का असर ख़त्म हुआ..

तुम मुझे देखना

तुम मुझे देखना छोडो तो बताऊँ तुमको, महफ़िल में सभी लोग तुम्हे देख रहे हैं !

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