थोड़ा और तल्ख़

थोड़ा और तल्ख़ इश्क़ ही जाये मौत आये आपकी हमे कही और इश्क़ हो जाये |

खुद बैठा बैठा

खुद बैठा बैठा मैं यूँ ही गुम हो जाता हूँ! मैं अक्सर मैं नही रहता तुम हो जाता हूँ!!

सूरज ढलते ही

सूरज ढलते ही रख दिये उस ने मेरे होठो पर होठ … ।। दोस्तों इश्क का रोजा था और गजब की इफ्तारी थी … !!

अपने हर लफ्ज में

अपने हर लफ्ज में कहर रखते है हम रहे खामोश फिर भी असर रखते है हम ।

खामोश सा माहौल

खामोश सा माहौल और बेचैन सी करवट है ना आँख लग रही है और ना रात कट रही है …. !!

मुद्दत हो गयी

मुद्दत हो गयी, कोइ शख्स तो अब ऐसा मिले…!!! बाहर से जो दिखता हो, अन्दर भी वैसा ही मिले…

ज़माने पर भरोसा

ज़माने पर भरोसा करने वालों..भरोसे का ज़माना जा रहा है..!

गुलों का छोड़ कर

गुलों का छोड़ कर दामन ये क्यूँ बैठी है काँटों पे, ये तितली तो बहुत ही दिलजली मालूम होती है…

सब कुछ तो

सब कुछ तो है क्या ढूँढती रहती हैं निगाहें, क्या बात है मैं वक़्त पे घर क्यूँ नहीं जाता…

इस अजनबी दुनिया में

इस अजनबी दुनिया में अकेला ख्वाब हूँ मैं, सवालो से खफा छोटा सा जवाब हूँ मैं, आँख से देखोगे तो खुश पाओगे, दिल से पूछोगे तो दर्द की सैलाब हूँ मैं…….

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