गुलों का छोड़ कर दामन ये क्यूँ बैठी है काँटों पे,
ये तितली तो बहुत ही दिलजली मालूम होती है…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
गुलों का छोड़ कर दामन ये क्यूँ बैठी है काँटों पे,
ये तितली तो बहुत ही दिलजली मालूम होती है…