हुस्न और इश्क

हुस्न और इश्क बहुत रोये गले मिल मिल कर…!! जाने क्या कह दिया दीवाने ने दीवाने से….

सबको हँसता ही

सबको हँसता ही देखना चाहता हूँ मैं, किसी को धोखे से भी रुलाना मेरी आदत नहीं।।

मैं तो हर पल

मैं तो हर पल ख़ुशी देती हूँ तुम्हें, तुम ये गम लाते कहाँ से हो।।

जब मैं लिखूँगा

जब मैं लिखूँगा दास्ताने जिदंगी तो, सबसे अहम किरदार तुम्हारा ही होगा।

इश्क़ लाजवाब है

यकीनन इश्क़ लाजवाब है, पर तुम से थोडा कम है।।

चल हो गया

चल हो गया फ़ैसला कुछ कहना ही नहीं, तू जी ले मेरे बग़ैर मुझे जीना ही नहीं।।

सौदेबाजी का हुनर

सौदेबाजी का हुनर कोई उनसे सीखे.., गालों का तिल दिखा कर सीने का दिल ले गयी …!!!

प्यार अधूरा ही रहता है

मैंने कहा प्यार अधूरा ही रहता है अक्सर वो हँसते हुए बोली पूरा करके खत्म नहीं करना है मुझे.!!

यूँ ही वो दे रहे है

यूँ ही वो दे रहे है क़त्ल की धमकियाँ, हम कौन से ज़िंदा है जो मर जाएंगे !!

तुम ये मत समझना

तुम ये मत समझना की मुझे कोई और नहीं चाहता, मौत तो तुमसे पहेले ही हमसफ़र बन बैठी है !!

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