बेक़सूर कौन होता

बेक़सूर कौन होता हैं इस ज़माने में बस सबके गुनाह पता नहीं चलते।।

बस दो आँखें….

किसी ने पूछा कौन याद आता है अक्सर तन्हाई में. हमने कहा कुछ पुराने रास्ते खुलती ज़ुल्फे और बस दो आँखें….!!

तेरे बारे में पूछते है

लोग आज भी तेरे बारे में पूछते है कहाँ है वो, मैं बस दिल पर हाथ रख देता हूँ…

दाव पेंच मालूम है

सब दाव पेंच मालूम है उसको वो बाजी जीत लेता है मेरे चालाक होने तक

पहचानती तो है…

हमेँ देख कर उसने,मुह मोड लिया…… ,,,,, तसल्ली सी हो गयी,,कि चलो,पहचानती तो है…..

तुमको ना रोकेंगे

मेरी बेचैन उमंगो को बहलाकर चले जाना, हम तुमको ना रोकेंगे बस आकर चले जाना…

धागे की तरह

मुझे तेरे ये कच्चे रिश्ते जरा भी पसंद नहीं आते.., या तो लोहे की तरह जोड़ दे,या फिर धागे की तरह तोड़ दे..!!

मस्जिद के सामने

हसीना ने मस्जिद के सामने घर क्या खरीदा, पल भर में सारा शहर नमाज़ी हो गया…!

बिगङी तकदीरें..

तमाम ठोकरें खाने के बाद, ये अहसास हुआ मुझे.. कुछ नहीं कहती हाथों की लकीरें,खुद बनानी पङती हैं बिगङी तकदीरें..

प्रतिशत पसीना है

प्रतिभा एक प्रतिशत प्रेरणा और निन्यानबे प्रतिशत पसीना है.

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