गलतफहमियों के सिलसिले

गलतफहमियों के सिलसिले आज इतने दिलचस्प हैं, कि हर ईंट सोचती है, दीवार मुझ पर टिकी है….

ज़माना फूल बिछाता था

ज़माना फूल बिछाता था मेरी राहों में जो वक़्त बदला तो पत्थर है ,अब उठाए हुए

कोई कहता है

कोई कहता है प्यार नशा बन जाता है! कोई कहता है प्यार सज़ा बन जाता है! पर प्यार करो अगर सच्चे दिल से, तो वो प्यार ही जीने की वजह बन जाता है

छोड दी हमने

छोड दी हमने हमेशा के लिए उसकी आरजू करना… जिसे मोहब्बत की कद्र ना हो उसे दुआओ मे क्या मांगना….

जरूरत और चाहत में

जरूरत और चाहत में बहुत फ़र्क है… कमबख्त़…. इसमे तालमेल बिठाते बिठाते ज़िन्दगी गुज़र जाती है !!

बुलंदी तक पहुंचना

बुलंदी तक पहुंचना चाहता हूँ मै भी… पर गलत राहो से होकर जाऊ.. इतनी जल्दी भी नही..!!

तेरे रोने से

तेरे रोने से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता ऐ दिल जिनके चाहने वाले ज्यादा हो वो अक्सर बे दर्द हुआ करते हैं|

खुद को कुछ इस तरह

खुद को कुछ इस तरह तबाह किया, इश्क़ किया क्या ख़ूबसूरत गुनाह किया, जब मुहब्बत में न थे तब खुश थे हम, दिल का सौदा किया बेवजह किया|

तू तो हँस हँसकर

तू तो हँस हँसकर जी रही है, जुदा होकर भी.. कैसे जी पाया होगा वो, जिसने तेरे सिवा जिन्दगी कभी सोची ही नहीं..

बेपरवाह हो जाते है

बेपरवाह हो जाते है अक्सर वो लोग, जिन्हे कोई बहुत प्यार करने लगता है…

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