समझदार ही करते है

समझदार ही करते है अक्सर गलतिया, कभी देखा है किसी पागल को मोहब्बत करते..!!

ख़त जो लिखा मैनें

ख़त जो लिखा मैनें वफादारी के पते पर, डाकिया ही चल बसा शहर ढूंढ़ते ढूंढ़ते !!

बदला हुआ वक़्त है

बदला हुआ वक़्त है ज़ालिम ज़माना है…. यहां मतलबी रिश्ते है फिर भी निभाना है…!!

ना थी मेरी तमन्ना

ना थी मेरी तमन्ना कभी तेरे बगैर रहने की लेकिन, मज़बूर को, मज़बूर की, मज़बूरियां, मज़बूर कर देती हैं…।।

तारीफ़ अपने आप की

तारीफ़ अपने आप की, करना फ़िज़ूल है….! ख़ुशबू तो ख़ुद ही बता देती है, की वो कौन सा फ़ूल है……!!

मुसीबतों से निखरती हैं

मुसीबतों से निखरती हैं शख्सियतें यारों……. जो चट्टानों से न उलझे वो झरना किस काम का…….

सब ही तारीफ़ करते हैं

सब ही तारीफ़ करते हैं मेरी तहरीरों की, कभी कोई नहीं सुनता मेरे लफ़्ज़ों की सिसकियां |

हम भी फूलों कि तरह

हम भी फूलों कि तरह अपनी आदत से मजबूर है तोड़ने वाले को भी खूशबू की सजा देते है…!!

ज़ख़्म दे कर

ज़ख़्म दे कर ना पूछा करो, दर्द की शिद्दत, दर्द तो दर्द होता हैं, थोड़ा क्या, ज्यादा क्या

बंद कर दिए हैं

बंद कर दिए हैं हम ने दरवाज़े इश्क के, पर तेरी याद है कि दरारों से भी आ जाती है|

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