पापा आपके नाम से

पापा आपके नाम से ही जाना जाता हूँ इस तरह से कोई शायरी है कृपया भेजें|

सुना था मोहब्बत मिलती है

सुना था मोहब्बत मिलती है मोहब्बत के बदले, हमारी बारी आई तो, रिवाज ही बदल गया|

आए थे मीर ख़्वाब में

आए थे मीर ख़्वाब में कल डांट कर गए, क्या शायरी के नाम पर कुछ भी नहीं रहा….

उसे भी दर्द है

उसे भी दर्द है शायद बिछड़ने का, गिलाफ वो भी बदलती है रोज तकिए का…!

ना जाया कर मुझको

ना जाया कर मुझको यूँ अकेला छोड़ कर… सुबह शाम ही नहीं, मुझे सारा दिन तेरी जरूरत है……!!!

उजागर हो गई

उजागर हो गई होतीं वो करतूतें सभी काली, ख़बर को आम होने से मगर अखबार ने रोका

पत्थर की दुनिया जज़्बात नही

पत्थर की दुनिया जज़्बात नही समझती,दिल में क्या है वो बात नही समझती,तन्हा तो चाँद भी सितारों के बीच में है,पर चाँद का दर्द वो रात नही समझती

हँसी यूँ ही नहीं आई है

हँसी यूँ ही नहीं आई है इस ख़ामोश चेहरे पर…..कई ज़ख्मों को सीने में दबाकर रख दिया हमने

जिसके लिए लिखता हूँ

जिसके लिए लिखता हूँ आज कल वो कहती हैं अच्छा लिखते हो… उनको सुनाऊँगी….

मैं इस दिल में

मैं इस दिल में सबको आने देता हूँ , पर कभी शक मत करना क्युकि जहाँ तुम रहती हो वहाँ में किसी को जाने भी नहीं देता…!!

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