अजीब तरह के इस दुनीया में मेले है, दीखती भीड़ है और चलते सब अकेले है..!!
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दुनिया तो टूटते
दुनिया तो टूटते हुए तारे से भी दुआ मांगती हैं, कौन कहता है बरबादी किसी के काम नहीं आती
जिदंगी पर बस
जिदंगी पर बस इतना लिख पाया हूँ ” मैं ”, बहुत मजबूत ” रिश्ते ” थे कुछ कमजोर लोगों से
सुना है तुम
सुना है तुम तक़दीर देखने का हुनर रखते हो, मेरा हाथ देखकर बताना,पहले तुम आओगे या मौत
लोग कहते हैं
लोग कहते हैं कि समझो तो खामोशियां भी बोलती हैं, मैं अरसे से खामोश हूं और वो बरसों से बेखबर है…
सिखा दिया
सिखा दिया ‘तुने’ मुझे… अपनों पर भी ‘शक’ करना.. मेरी ‘फितरत’ में तो था… गैरों पर भी ‘भरोसा’ करना!!
तेरे संग रातों
तेरे संग रातों मैं चाँद को ताकते रहना बिखर कर अब तो तारे हो गई वो यादे…।
एक दिन हम
एक दिन हम मिलेंगे सूखे गुलाबों में, बारिश की बूंदों में, कलम में, किताबों में ।।
कभी किसी को
कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता कहीं ज़मीन तो कहीं आसमान नहीं मिलता जिसे भी देखिये वो अपने आप में गुम है ज़ुबाँ मिली है मगर हमज़ुबाँ नहीं मिलता बुझा सका है भला कौन वक़्त के शोले ये ऐसी आग है जिसमे धुआँ नहीं मिलता तेरे जहाँ में ऐसा नहीं कि प्यार न हो… Continue reading कभी किसी को
हवाओं की भी
हवाओं की भी अपनी अजब सियासत है … कहीं बुझी राख……भड़का दे, कहीं जलते दीये बुझा दे……