गले ना सही

गले ना सही ना मिलिए, अदब की बात है,आदाब तो बनता है…

नज़र झुकायी तो

नज़र झुकायी तो पूछूँगा इश्क़ का अन्जाम, नज़र मिलायी तो खाली सलाम कर लूंगा…

बड़ी अजीब सी है

बड़ी अजीब सी है शहरों की रौशनी, उजालों के बावजूद चेहरे पहचानना मुश्किल है।

इस दुनिया मेँ

इस दुनिया मेँ अजनबी रहना ही ठीक है.. लोग बहुत तकलीफ देते है अक्सर अपना बना कर !

हर बार बोला

हर बार बोला जाये ये जरूरी तो नहीं हर राज़ खोला जाये ये जरूरी तो नहीं हरेक ख़ामोशी भी बयां करती है दर्पण हर लफ्ज़ तोला जाये ये जरूरी तो नहीं।

आशियाने बनाए भी

आशियाने बनाए भी तो कहाँ बनाए जनाब…. ज़मीने महँगी होती जा रही है और दिल में जगह लोग देते नहीं है|

काश दर्द के भी पैर होते

काश दर्द के भी पैर होते, थक कर रुक तो जाते कहीं

क्या क़यामत है

क्या क़यामत है के कू- ऐ-यार से हम तो निकले और आराम रह गया।

टूटता है तो टूट जाने दो

टूटता है तो टूट जाने दो, आइने से निकल रहा हूँ मैं…

थकता जा रहा हूँ

रोज़ रोज़ थकता जा रहा हूँ तेरा इंतज़ार करते करते, रोज़ थोड़ा थोड़ा टूटता जा रहा हूँ तुजसे एक तरफ़ा प्यार करते करते|

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