तेरी मोहब्बत तो

तेरी मोहब्बत तो जैसे सरकारी नौकरी हो, नौकरी तो खत्म हुयी अब दर्द मिल रहा है पेंशन की तरह!

सरेआम न सही

सरेआम न सही फिर भी रंजिश सी निभाते है.. किसी के कहने से आते किसी के कहने से चले जाते..

बहुत आसाँ हैं

बहुत आसाँ हैं आदमी का क़त्ल मेरे मुल्क में, सियासी रंजिश का नाम लेकर घर जला डालो…..

मेरी ख़ामोशी की

मेरी ख़ामोशी की ख्वाहिश भी तुम, मेरी मोहब्बत की रंजिश भी तुम….

किस्सा बना दिया

किस्सा बना दिया एक झटके में उसने मुझे, जो कल तक मुझे अपना हिस्सा बताता था !!

एक अरसा गुजर गया

एक अरसा गुजर गया तुम बिन फिर तेरी यादे क्यों नहीं गुजर जाती इस दिल से

जो जरा किसी ने

जो जरा किसी ने छेड़ा तो छलक पड़ेंगे आँसू.. कोई मुझसे ये ना पूछें मेरा दिल उदास क्यूँ है..

खतों से मीलों सफर करते थे

खतों से मीलों सफर करते थे जज़्बात कभी, अब घंटों बातें करके भी दिल नहीं मिलते…!

कुछ हार गयी तकदिर

कुछ हार गयी तकदिर, कुछ टूट गये सपने, कुछ गैरो ने बरबाद किया, कुछ छोड़ गये अपने…!!

जो बेसब्र ना हो

जो बेसब्र ना हो, तो फिर वो मुहब्बत कैसी…..

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