मोहब्बत का शोक

मोहब्बत का शोक ना रखिए साहिब, इसमें साँस आती नहीं और जान जाती नहीं…

शायर होना भी

शायर होना भी कहाँ आसान है, बस कुछ लफ़जों मे दिल का अरमान है, कभी तेरे ख्याल से महक जाती है मेरी गज़ल, कभी हर शब्द परेशान है….

बिना देखे इतना चाहते हैं

बिना देखे इतना चाहते हैं आपको, बिना मिले सब समझते हैं आपको, ये आँखें जब भी बंद रहें हमारी, बंद आँखों से देख लेते हैं आपको.

वो हवा थी

वो हवा थी बहती गई, मैं बारिश था, ज़मीं में समा गया..

इस तरह तुमने

इस तरह तुमने मुझे छोड़ दिया …. जैसे रास्ता कोई गुनाह का हो

तेरे हर ग़म को

तेरे हर ग़म को अपनी रूह में उतार लूँ; ज़िन्दगी अपनी तेरी चाहत में संवार लूँ; मुलाक़ात हो तुझसे कुछ इस तरह मेरी; सारी उम्र बस एक मुलाक़ात में गुज़ार लूँ।

अक्ल बारीक हुई

अक्ल बारीक हुई जाती है, रूह तारीक हुई जाती है।

हमारे बिन अधूरे तुम

हमारे बिन अधूरे तुम रहोगे, कभी चाहा था किसी ने,तुम ये खुद कहोगे..

तेरे हर ग़म को

तेरे हर ग़म को अपनी रूह में उतार लूँ; ज़िन्दगी अपनी तेरी चाहत में संवार लूँ; मुलाक़ात हो तुझसे कुछ इस तरह मेरी; सारी उम्र बस एक मुलाक़ात में गुज़ार लूँ।

जो कभी किया ना

जो कभी किया ना असर शराब ने, वो तेरी आँखों वे कर दिया, सजा़ देना तो मेरी मुठ्ठी मे थी, मुझे हि कैद तेरी सलाखों ने कर दिया ..

Exit mobile version