हजारों चेहरों में

हजारों चेहरों में,एक तुम ही थे जिस पर हम मर मिटे वरना.. ना चाहतों की कमी थी,और ना चाहने वालों की…!!

तेरी बेरुखी ने

तेरी बेरुखी ने छीन ली है शरारतें मेरी और लोग समझते हैं कि मैं सुधर गया हूँ ..!

सिखा दिया हैं

सिखा दिया हैं जहां ने , हर जख्म पे हसना …… . ले देख जिन्दगी , अब तुझसे नही डरता …..!!

एक वो वक़्त था

एक वो वक़्त था जब काना बाँसुरी बजाता और सारी गोपियाँ घर से बहार निकल आती और एक आज है जब कचरावाला आके सीटी मारता है और सब गोपियां घर के बहार…

तू छोड़ रहा है

तू छोड़ रहा है तो इसमें तेरी ख़ता क्या हर शख़्स मेरा साथ निभा भी नहीं सकता !!

ज़िन्दगी तरसती है

कब्रोँ पर यहाँ ताजमहल है…. और एक टूटी छत को ज़िन्दगी तरसती है…….

तराजू मोहब्बत का

तराजू मोहब्बत का था बेवफाई भारी पड गयी|

आप ने तीर चलाया

आप ने तीर चलाया तो कोई बात न थी… ज़ख्म मैंने जो दिखाया तो बुरा मान गए…

तुम रख ही ना सकीं

तुम रख ही ना सकीं मेरा तोफहा सम्भालकर मैंने दी थी तुम्हे,जिस्म से रूह निकालकर

कोई मरहम लगाने वाला

कोई मरहम लगाने वाला नहीं था … और जख्म जल्दी भर गये ..

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