वो लोग भी चलते है

वो लोग भी चलते है आजकल तेवर बदलकर … जिन्हे हमने ही सिखाया था चलना संभल कर…!

अब क्या मुकाम आता है

देखिये अब क्या मुकाम आता है साहेब, सूखे पत्ते को इश्क हुआ है बहती हवा से..!!

इतना भी दर्द ना दे

इतना भी दर्द ना दे ऐ ज़िन्दगी ….. भरोसा ही किया था.. कोई कत्ल तो नही ..

तुम संग हूँ

तुम संग हूँ तुम बिन सही तुम धड़कन हो तुम दर्द सही ……

घर के बाहर

घर के बाहर ढूँढता रहता हूँ दुनिया, घर के अंदर दुनिया-दारी रहती है।।

बहुत शौक है

बहुत शौक है न तुझे ‘बहस’ का आ बैठ…….’बता मुहब्बत क्या है’…

उन्होने वक्त समझकर

उन्होने वक्त समझकर गुजार दिया हमेँ… हम उन्हें जिंदगी समझकर आज भी जी रहे हैँ…

बदलते इंसानों की

बदलते इंसानों की बातें हमसे न पूँछो यारों, हमने हमदर्द को भी हमारा दर्द बनते देखा है!

तुम हर तरह से

तुम हर तरह से मेरे लिए ख़ास हो,शुक्रिया वो बनने के लिए जो तुम हो…

दर्द ओर आसूं

मुहब्बत कितनी सच्ची क्यों न हो एक दिन दर्द ओर आसूं जरुर देती है।

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