सोचा ही नहीं था.. जिन्दगी में ऐसे भी फ़साने होगें…!! रोना भी जरूरी होगा.. और आँसू भी छुपाने होगें…!!!
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आँखें थक गई है
आँखें थक गई है शायद आसमान को तकते तकते…, वो तारा नहीं टुटता.. जिसे देखकर मैं तुम्हें माँग लूँ ….
हमारा हाल क्या होता…
तुम्हारी बेरुखी पर भी लुटा दी ज़िन्दगी हमने, अगर तुम मेहरबां होती, हमारा हाल क्या होता….
जरा सम्भल के
जरा सम्भल के रहना उन इंसानो से दोस्तों…. जिन के दिल मे भी दिमाग होता है…!!
हजार ख्वाहिशें एक
हजार ख्वाहिशें एक साथ हमने तोलकर देखी उफ्फ़ चाहत उसकी फिर भी सब पे भारी थी
तुम बेशक चले गये
तुम बेशक चले गये हो इश्क का स्कूल छोड़कर, हम आज भी तेरी यादों की क्लास में रोज़ हाजरी देते है|
तुम्हारी बेरूखी ने
तुम्हारी बेरूखी ने लाज रख ली बादाखाने की……! तुम आंखों से पिला देते तो पैमाने कहाँ जाते…..
दीवार क्या गिरी
दीवार क्या गिरी मेरे कच्चे मकान की, लोगों ने मेरे घर से रास्ते बना लिए
करीब आ जाओ
करीब आ जाओ जीना मुश्किल है तुम्हारे बिना, दिल को तुम से ही नही, तुम्हारी हर अदा से मोहब्बत है…
धरती पर शिद्दत से
आज भी आदत में शामिल है, उसकी गली से होकर घर जाना.