काँच सा था..

सुख मेरा, काँच सा था.. ना जाने कितनों को चुभ गया..!!

एक ही समानता है

एक ही समानता है पतंग औऱ जिन्दगी मॆं.. ऊँचाई में हो तब तक ही वाह-वाह होती हैं!!

यहाँ हर कोई

यहाँ हर कोई रखता है खबर , गैरो के गुनाहों की ….. अजब फितरत हैं …. कोई आईना नही रखता !!

सुनो…तुम्हारी दो बाहें

सुनो… तुम्हारी दो बाहें मेरी जमीं… तुम्हारी दो आँखें मेरा आसमान…

कुछ इस तरह

कुछ इस तरह से मेरी वो फिकर करता है अनजान बनकर ही सही पर मेरा जिकर करता है|

कैसी उम्र में

कैसी उम्र में आ कर मिले हों हमसे, जब हाथों की मेंहंदी बालों में लग रही है।

ज़िंदगी के ये सवालात

ज़िंदगी के ये सवालात कहाँ थे पहले, इतने उलझे हुए हालात कहाँ थे पहले..

तू डूबने से

तू डूबने से यकीनन मुझे बचा लेगा, मगर तेरा एहसान मार डालेगा..

सबको हँसता ही

सबको हँसता ही देखना चाहता हूँ मैं, किसी को धोखे से भी रुलाना मेरी आदत नहीं।।

हुस्न वाले जब

हुस्न वाले जब तोड़ते हैं दिल किसी का, बड़ी सादगी से कहते है मजबूर थे हम।।

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