वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर, इसकी आदत भी आदमी सी है.
Tag: शर्म शायरी
मोहलत लेकर आयेंगे
वादा करते हैं दोस्ती निभाएंगे कोशिश यही रहेगी तुझे ना सताएँगे ज़रूरत पड़े तो दिल से पुकार ना मर भी रहे होंगे तो मोहलत लेकर आयेंगे
बहुत सोच समझकर
बहुत सोच समझकर हमसे कोई वादा करना…. ऐ दोस्तों…… हम वादे पर जिंदगी गुज़ार देते हैं…..!!
मुझे दर्द दिया है!
नफरत ही सही तुमने मुझे कुछ तो दिया है! इतनी बड़ी दुनिया में मुझे तन्हा किया है! मैं तुमसे शिकायत भी यार कर नही सकता, रब ने ही वसीयत में, मुझे दर्द दिया है! तुम मुझको आंसुओं की, ये बूंदें न दिखाओ, मैंने तो आंसुओं का समुन्दर भी पिया है! जाने क्यूँ दर्द ज़ख्मों से… Continue reading मुझे दर्द दिया है!
आओ कभी यूँ
आओ कभी यूँ मेरे पास की आने में लम्हे और जाने में ज़िन्दगी गुज़र जाये
तुम मुझे भूल जाओ
तुम मुझे भूल जाओ ..ये तुम्हारी मर्जी .. “लेकिन” मैं क्या करूँ .. मुझे तो भूलना भी नहीं आता !
सबका होता गया
किस्मत बुरी या मै बुरा फैसला हो ना सका ! मै सबका होता गया कोई मेरा हो ना सका !!
आदते बुरी नही
आदते बुरी नही हमारी बस थोडे शौक उँचे है वर्ना किसी ख्वाब की इतनी औकात नही, की हम देखे और वो पूरा ना हो हम बादशाहो के बादशाह है, इसलीए गुलामो जैसी हरकते नही, नोटो पर फोटो हमारा भी हो सकता, पर लोगो की जेब मे रहना हमारी फीतरत नही
ऐसा भी नहीँ है
ऐसा भी नहीँ है कि, .. मैँ जिँदगी नही जिया हुँ . . . . मैने भी उङाई है पॉलिथीन, … तेज़ आँधी मेँ धागा बाँधकर . . .
इतना गुमान न कर
अपनी जीत का इतना गुमान न कर बेखबर, शहर मे तेरी जीत से ज्यादा मेरी हार के चर्चे हैं