ये भी क्या सवाल हुआ कि इश्क़ कितना चाहिए, .दिल तो बच्चे की तरह है मुझे थोड़ा नहीं सब चाहिए !!
Tag: शर्म शायरी
आँखों की दहलीज़ पे
आँखों की दहलीज़ पे आके सपना बोला आंसू से… घर तो आखिर घर होता है… तुम रह लो या मैं रह लूँ….
आते हैं दिन हर किसी के
आते हैं दिन हर किसी के बेहतर, जिंदगी के समंदर में हमेशा तूफान नही रहते।
तेरे कूचे में
तेरे कूचे में उम्र भर ना गए…सारी दुनिया की ख़ाक छानी है…
तेरी रुसवाइयों से
तेरी रुसवाइयों से डरता हूँ… जब भी तेरे शहर से गुज़रता हूँ…
कुछ तेरी अज़मतो का
कुछ तेरी अज़मतो का डर भी था…कुछ अजीब थे ख़यालात मेरे…
जाने किन वादियो में
जाने किन वादियो में ठहरा है…गिरत-ऐ-हुस्न कारवाँ तेरा…
आज इतना महसूस किया
आज इतना महसूस किया खुद को जैसे लोग दफन कर के चले गए हो मुझे|
बेअसर कहाँ होती है
बेअसर कहाँ होती है दुआ कोई भी… या उसकी कुबूल होती है या मेरी कुबूल होती है!!
सब कहते हैं
सब कहते हैं ज़िन्दगी में सिर्फ एक बार प्यार करना चाहिए, लेकिन तुमसे तो मुझे बार बार प्यार करने को दिल चाहता है।