तेरी मुस्कुराहट पे दिल जानिश़ार हैं तेरी मोहब्बत पे हम यू गिरफ्तार हैं!
Tag: व्यंग्य
नशा मुझ में है
नशा मुझ में है और मुझी में है हलचल अगर होता नशा शराब में तो नाच उठती बोतल|
कुछ भी बचा न कहने को
कुछ भी बचा न कहने को हर बात हो गई.., आओ कहीं शराब पिएँ रात हो गई..!!
चराग़-ए-तूर
चराग़-ए-तूर जलाओ बड़ा अँधेरा है, ज़रा नक़ाब उठाओ बड़ा अँधेरा है…
दूसरों पर अगर तब्सिरा कीजिए
दूसरों पर अगर तब्सिरा कीजिए, सामने आइना रख लिया कीजिए…
हम भी वही होते हैं
हम भी वही होते हैं, रिश्ते भी वही होते हैं, और रास्ते भी वही होते हैं, बदलता है तो बस….. समय, एहसास, और नज़रिया…!!
तुम्हारे बिन न जाने क्यों
तुम्हारे बिन न जाने क्यों सफ़र अच्छा नहीं लगता बड़ा दिलकश है हर मंजर मगर अच्छा नहीं लगता तुम्हारे बिन न जाने क्यों सफ़र अच्छा नहीं लगता और जमाने भर की सारी नेमतें मौजूद हो लेकिन जमाने भर की सारी नेमतें मौजूद हो लेकिन अगर बेटी ना हो घर में घर अच्छा नहीं लगता…
फूल रखिए ना रखिए
फूल रखिए ना रखिए, किसी की राहों में, .. साहेब पर लबों पे सब के लिए दुआ जरूर रखिए..!!!
ख्वाहिशों को बेलगाम मत छोड़ो।
ख्वाहिशों को बेलगाम मत छोड़ो।ये बाग़ी हो जाएं तो हराम,हलाल,जाएज़,नाजायज़ कुछ भी नहीं देखतीं।
ज्यादा ख्वाहिशें नहीं
ज्यादा ख्वाहिशें नहीं ऐ जिन्दगी तुझसे हमे,,बस तेरा अगला लम्हा पिछले से बेहरतीन हो…