Woh ashq bhari ankhein, yeh dard bhare naale.. Allah na dikhlaye jo waqt-e-sehar dekha..!
Tag: व्यंग्य
Iss ishq ke
Iss ishq ke hathon se hargiz na-mafar dekha.. Utni hi badhi hasrat jitna hi udhar dekha..!
shaan e husn
Har lehza shaan-e-husn badalti rahi.. Har aan hum jahan-e-digar dekhty rahey..!
सब बेमानी हैं
लफ्ज़ अल्फाज कागज कलम सब बेमानी हैं तुम कहते रहो हम सुनते रहे बस इतनी सी कहानी है !!!
ज़िन्दगी में आराम
ना मिला है, ना मिलेगा, ज़िन्दगी में आराम कहीं… मैं हुँ बे-मन्ज़िल मुसाफ़िर… सुबह कहीं शाम कहीं.
वो लोग जो
वो लोग जो औरों की ज़िंदगी के मसीहा हैं , हर रात टूटते हैं बेतरतीब , बिना शोर किये !
बढ़े चलो!
‘अमर्त्य वीर पुत्र हो, दृढ़- प्रतिज्ञ सोच लो, प्रशस्त पुण्य पंथ है, बढ़े चलो, बढ़े चलो!’ असंख्य कीर्ति-रश्मियाँ विकीर्ण दिव्य दाह-सी सपूत मातृभूमि के- रुको न शूर साहसी! अराति सैन्य सिंधु में, सुवाड़वाग्नि से जलो, प्रवीर हो जयी बनो – बढ़े चलो, बढ़े चलो!
कहाँ मिलता है
कहाँ मिलता है कोई समझने वाला जो भी मिलता है समझा के चला जाता है|
raazi hona chahiye
Zehar asardar bhi ho to kuch nahi ho sakta “Iqbal”, Khuda bhi raazi hona chahiye maut dene ke liye….
ये दिल अजीब है
ये दिल अजीब है अक्सर कमाल करता है नहीं जवाब जिनका वो सवाल करता है ।