ना समेट सकोगे कयामत तक

ना समेट सकोगे कयामत तक जिसे तुम, कसम तुम्हारी तुम्हें इतनी मुहब्बत करते हैं

अपना ख्याल रखना

जरा अपना ख्याल रखना दोस्तो, सुना है, इश्क इसी महीने में शिकार करता है।

वफ़ाओं का इंतिज़ार

रिश्तोंका ए’तिबार वफ़ाओं का इंतिज़ार हम भी चराग़ ले के हवाओं में आए हैं

मोहब्बत एक से हुई है

मत कर इतना प्यार पगले… दिल जब तेरा टूटेगा तो मोहब्बत एक से हुई है नफरत सारी दुनिया से कर बैठेगा..

वकील से ताल्लुक

किसी मोहब्बत वाले वकील से ताल्लुक हो तो बताना दोस्तों ……? मुझे अपना महबूब अपने नाम करवाना हैं॥

आज मौसम बहुत

आज मौसम बहुत खुशनुमा है क्या तुमने हवाओं को चूमा है

क्या उम्मीदें होंगी

उस गरीब की भी, क्या उम्मीदें होंगी जिंदगी से जिसकी साँसे भी, गुब्बारों में बिकती हैं..!

छोड़ रहा हूँ

छोड़ रहा हूँ लफ़्ज़ों तुमको तुम्हारे हाल पे, ढूंढ लो फिर कोई अधूरी मोहब्बत खुद के लिए…!!!

तुम्हारी शरारती ऑंखें

सुनो तुम्हारी शरारती ऑंखें, और लबों की मुस्कराहट….!! बेशर्मी से क़त्ल कर देती है, शायर की शराफत का……!!

फिर बदल कैसे गये

तुम .. ना मौसम थे.. ना किस्मत.. ना तारीख …. ना ही दिन ना ही रात फिर बदल कैसे गये…. ?

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