कहानियाँ लिखने लगा हूँ मैँ अब, शायरियों मेँ अब तुम समाती नहीँ…
Tag: शायरी
मेरी आँखों में
मेरी आँखों में पढ़ लेते हैं, लोग तेरे इश्क़ की आयतें… किसी में इतना भी बस जाना अच्छा नहीं होता|
मेरी आँखों में
मेरी आँखों में पढ़ लेते हैं, लोग तेरे इश्क़ की आयतें… किसी में इतना भी बस जाना अच्छा नहीं होता|
मेरे क़ाबू में
मेरे क़ाबू में न पहरों दिले-नाशाद आया, वो मेरा भूलने वाला जो मुझे याद आया।
किस्मत की लकीरों में
किस्मत की लकीरों में नहीं था नाम उसका शायद, जबकि उनसे मुलाकात तो हर रोज़ होती थी।
क्यूँ नहीं महसूस होती
क्यूँ नहीं महसूस होती उसे मेरी तकलीफ, जो कहते थे बहुत अच्छे से जानते हैं तुझे।
अभी कमसिन हैं
अभी कमसिन हैं जिदें भी हैं निराली उनकी, इसपे मचले हैं हम कि दर्द-ए-जिगर देखेंगे।
जाने कितनी रातों की
जाने कितनी रातों की नीदें ले गया वो, जो पल भर मौहब्बत जताने आया था।
तुम्हारे पास कोई
तुम्हारे पास कोई यकीन का ईक्का हो तो बतलाना, हमारे भरोसे के तो सारे पत्ते जोकर निकले…!!
अपने वजूद पर
अपने वजूद पर, इतना न इतरा ए ज़िन्दगी, वो तो मौत है, जो तुझे मोहलत देती जा रही है…..