जाऊँ तो कहा जाऊँ इस तंग दिल दुनिया में, हर शख्स मजहब पूछ के आस्तीन चढ़ा लेता है…!
Tag: शर्म शायरी
तेरा इश्क जैसे
तेरा इश्क जैसे प्याज था शायद। परते खुलती गयी आँसू निकलते गये॥
चलो दौलत की
चलो दौलत की बात करते हैं, बताओ तुम्हारे दोस्त कितने हैं….!!
मेरी इन चढ़ी आँखों को
मेरी इन चढ़ी आँखों को ज़रा नम कर दे, ऐ मर्ज़ इस तकलीफ को ज़रा कम कर दे…!!
कुछ लौग ये सोचकर
कुछ लौग ये सोचकर भी मेरा हाल नहीं पुँछते… कि यै पागल दिवाना फिर कोई शैर न सुना देँ !!
मैंने पूछा एक पल में
मैंने पूछा एक पल में जान कैसे निकलती है, उसने चलते चलते मेरा हाथ छोड़ दिया..
छोङो ना यार
छोङो ना यार , क्या रखा है सुनने और सुनाने मेँ किसी ने कसर नहीँ छोङी दिल दुखाने मेँ ..
अजीब खेल है
अजीब खेल है इस मोहब्बत का, किसी को हम न मिले और न कोई हमे मिला।
फ़रेब होता तो
इश्क …था इसलिए सिर्फ तुझ से किया. .. फ़रेब होता तो सबसे किया होता
मेरे दिल से
मेरे दिल से निकलने का रास्ता भी न ढूंढ सके, और कहते थे तुम्हारी रग-रग से वाकिफ़ है हम..