आओ एक बार साथ मुस्कुरा लें…. फिर ना जाने ज़िन्दगी कहाँ ले जाये …!!!
Tag: शर्म शायरी
मेरी बेजुबां आँखों से
मेरी बेजुबां आँखों से गिरे हैं चंद कतरे… वो समझ सके तो आँसू ,ना समझ सके तो पानी|
ख़त पकड़ा गया है….
मुहब्बत उठ गयी दोनों घरों से….!! सुना है एक ख़त पकड़ा गया है….!!
मीठी सी तन्हाई है
जब से तुम्हारी नाम की मिसरी होंठ लगायी है मीठा सा ग़म है, और मीठी सी तन्हाई है|
सफ़र शुरू कर दिया है
सफ़र शुरू कर दिया है मैंने, बहोत जल्द तुमसे दूर चला जाऊँगा|
ये महज़ इत्तेफाक है
ये महज़ इत्तेफाक है,या मेरी खता… आज फ़िर किसी को ‘भा’ गया हूँ मैं !
मेरी नज़र में
मेरी नज़र में तो सिर्फ तुम हो, कुछ और मुझको पता नहीं है तुम्हारी महेफिल से उठ रहा हूँ, मगर कहीं रास्ता नहीं है|
मोहब्बत इतनी बुरी भी नही
मोहब्बत इतनी बुरी भी नही जितना मेने सुना था दर्द मोहब्बत नही देती ,मोहब्बत करने वाले देते हे..!!!❗❗❗
सब लोग अपने
सब लोग अपने अपने ख़ुदाओं को साथ लाए थे, एक हम ऐसे थे कि जिस का कोई ख़ुदा ही न था।
वक्त नहीं लगता
वक्त नहीं लगता दिल से दिल मिलाने में… पर सदियां बीत जाती हैं एक रिश्ते को भुलाने में….