जरा सी मोहब्बत क्या पी ली कि जिन्दगी अब तक लड़खड़ा रही है….
Tag: शर्म शायरी
जिंदगी मेरे कानो मे
जिंदगी मेरे कानो मे अभी होले से कुछ कह गई, उन रिश्तो को संभाले रखना जिन के बिना गुज़ारा नहीं होता|
जो अंधेरे की तरह
जो अंधेरे की तरह डसते रहे ,अब उजाले की कसम खाने लगे चंद मुर्दे बैठकर श्मशान में ,ज़िंदगी का अर्थ समझाने लगे!!
यूँ असर डाला है
यूँ असर डाला है मतलबी लोगो ने दुनियाँ पर,हाल भी पूछो तो लोग समझते है की कोई काम होगा…
आसाँ कहाँ था
आसाँ कहाँ था कारोबार-ए-इश्क पर कहिये हुजूर , हमने कब शिकायत की है ? हम तो मीर-ओ-गालिब के मुरीद हैं हमेशा आग के दरिया से गुजरने की हिमायत की है !
मेरी ज़िन्दगी को
मेरी ज़िन्दगी को जब मैं करीब से देखता हूँ किसी इमारत को खड़ा गरीब सा देखता हूँ आइने के सामने तब मैं आइने रखकर कहीं नहीं के सामने फिर कुछ नहीं देखता हूँ|
नींद तो आने को थी
नींद तो आने को थी पर दिल पुराने किस्से ले बैठा अब खुद को बे-वक़्त सुलाने में कुछ वक़्त लगेगा|
बिना मतलब के
बिना मतलब के दिलासे भी नहीं मिलते यहाँ , लोग दिल में भी दिमाग लिए फिरते हैं |
नफरत ही करनी है तो
मुझसे नफरत ही करनी है तो,इरादे मजबूत रखना।। जरा सा भी चुके तो मोहब्बत हो जायेगी|
सारे शोर महफ़िल के
सारे शोर महफ़िल के दब गए तेरी पाज़ेब की रुनझुन से””!! इक तेरा आना महफ़िल में सारे हंगामों पे भारी हो गया