तुम्हें नींद नहीं आती तो , कोई और वजह होगी ! अब हर ऐब के लिये , कसूरवार इश्क तो नहीं …
Tag: शर्म शायरी
कभी संभले तो
कभी संभले तो कभी बिखरते आये हम, ज़िंदगी के हर मोड़ पर ख़ुद में सिमटते आये हम…
छुपे छुपे से
छुपे छुपे से रहते हैं सरेआम नहीं हुआ करते, कुछ रिश्ते बस एहसास होते हैं उनके नाम नहीं हुआ करते|
तुमने किया न याद
तुमने किया न याद कभी भूल कर हमे, हमने तुम्हारी याद में सब कुछ भुला दिया.!!
बहते हैं आँसूं तो
बहते हैं आँसूं तो मुस्कुराता हूँ मैं यूँ भी तो तेरी यादें बाहर आए कभी…
दिल पे जो गुजरी
दिल पे जो गुजरी बताया नहीं तुझको मैंने कितने खत अब भी तेरे नाम लिखे रखे हैं|
दामन को फैलाये बैठे हैं
दामन को फैलाये बैठे हैं अलफ़ाज़-ए-दुआ कुछ याद नही माँगू तो अब क्या माँगू जब तेरे सिवा कुछ याद नही|
हस्ती मिट जाती है
हस्ती मिट जाती है आशियाँ बनाने मे, बहुत मुस्किल होती है अपनो को समझाने मे, एक पल मे किसी को भुला ना देना, ज़िंदगी लग जाती है किसी को अपना बनाने मे..
क़ैद हो जाती है
जहाँ कमरों में क़ैद हो जाती है ‘जिंदगी’ लोग उसे शहर कहते हैं…!!
उम्र ने तलाशी ली
उम्र ने तलाशी ली, तो जेबों से लम्हे बरामद हुए ; कुछ ग़म के, कुछ नम थे, कुछ टूटे, कुछ सही सलामत थे.