कौन देगा चाय के पैसे? मुसीबत थी यही, इसलिए सब धीरे-धीरे चुस्कियां लेते रहे।
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हम तो मशहुर थे
हम तो मशहुर थे अपनी तनहाइयों के लिए , मुद्तों बाद किसी ने पुकारा है, एक पल तो हम रुक कर सोचने लगे, कया यही नाम हमारा है ?
बेवजह दीवार पर
बेवजह दीवार पर इल्जाम है बँटवारे का लोग मुद्दतों से एक कमरे में अलग रहते हैं।
मुस्कुराने से शुरु और रुलाने पे
मुस्कुराने से शुरु और रुलाने पे ख़त्म.. ये वो ज़ुल्म है जिसे लोग मुहब्बत कहते है…!
क्यूँ तुम नज़र में न
क्यूँ तुम नज़र में नहीं पर दिल में हो? आँखों से शायद बह गया तुम्हारा वजूद …
बाजार सब को तौलता है
बाजार सब को तौलता है अब तराजू में, फन बेचते अपना यहाँ फनकार भी देखे।
कदम रुक से गए
कदम रुक से गए आज फूलो को बिकता देख, वो अक्सर कहा करते थे की प्यार फूलो जैसा होता हें…
सुनकर ज़माने की
सुनकर ज़माने की बातें तू अपनी अदा मत बदल, यकीं रख अपने खुदा पर यूँ बार बार खुदा मत बदल……
शतरंज में वजीर
शतरंज में वजीर और ज़िन्दगी में ज़मीर, अगर मर जाये तो खेल ख़त्म हो जाता है…..
कितनी मासूम सी है
कितनी मासूम सी है ख्वाहिस आज मेरी, कि नाम अपना तेरी आवाज़ से सुनूँ !!