पहले मन पर काम करो

पहले मन पर काम करो और फिर तन पर काम करो इसके बाद जो वक़्त बचे उसमें धन पर काम करो|

मुद्दत से तमन्नाएं

मुद्दत से तमन्नाएं सजी बैठी हैं दिल में इस घर में बड़े लोगों का रिश्ता नही आता |

टूट पड़ती थीं

टूट पड़ती थीं घटाएँ जिन की आँखें देखकर वो भरी बरसात में तरसे हैं पानी के लिए|

खो गई है

खो गई है मेरे यार के चेहरे की चमक…..! चाँद निकले तो जरा उसकी तलाशी लेना….

मीठे बोल बोलि

मीठे बोल बोलिए क्योंकि अल्फाजों में जान होती है, इन्हीं से आरती, अरदास और अजान होती है|

है अजीब शहर की

है अजीब शहर की ज़िंदगी न सफ़र रहा न क़याम है कहीं कारोबार सी दोपहर कहीं बद-मिज़ाज सी शाम है

छोड़ ये बात

छोड़ ये बात,… मिले जख्म,….. मुझे कहां से, ऐ ज़िन्दगी इतना बता, कितना सफर बाकी है…

हम भी शामिल हैं

हम भी शामिल हैं खेल में लेकिन सिर्फ सिक्का उछालने के लिए.!

पलको पे बिठा के

पलको पे बिठा के रखेगे ससुराल वाले…. मालूम ना था बाबा भी झूठ बोलेगे…..

किसी ने कहा आपकी आँखे

किसी ने कहा आपकी आँखे बड़ी खूबसूरत है, मैने कह दिया कि, बारिश के बाद अक्सर मौसम सुहाना हो जाता है।

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