तमाम उमर जिंदगी से दूर रहे तेरी खुशी के लिए तुझसे दूर रहे अब इससे बढ़कर वफ़ा – ए -सजा क्या होगी की तेरे हो कर भी तुझसे दूर रहे ??
Tag: व्यंग्य
ना जाने कैसे
ना जाने कैसे इम्तेहान ले रही है जिदगी, आजकल, मुक्दर, मोहब्बत और दोस्त तीनो नाराज रहते है|
मिली है अगर
मिली है अगर जिंदगी तो मिसाल बन कर दिखाइये… वर्ना इतिहास के पन्ने आजकल रिश्वत देकर भी छपते है|
जिन रिश्तों में
जिन रिश्तों में हर बात का मतलब समझाना पड़े,.. और,सफाई देनी पड़े वो रिश्ते रिश्ते नही बोझ हैं …
तेरे आगोश में
तेरे आगोश में मिल जाये पनाह , हाय में इतनी खुशनसीब कहा|
एक ही ख्वाब ने
एक ही ख्वाब ने सारी रात जगाया हैं, मैंने हर करवट सोने की कोशिश की हैं|
या तो क़ुबूल कर
या तो क़ुबूल कर,मेरी कमज़ोरियों के साथ या छोड़ दे मुझे, मेरी तनहाइयों के साथ|
जानता था की
जानता था की वो धोखा देगी एक दिन पर चुप रहा.. . क्यूंकि उसके धोखे में जी सकता हूँ पर उसके बिना नहीं…
सिर्फ बेहद चाहने से
सिर्फ बेहद चाहने से क्या होता है… नसीब भी होना चाहिए किसीका प्यार पाने के लिए…
हर वक़्त नया चेहरा
हर वक़्त नया चेहरा, हर वक़्त नया वजूद… आदमी ने आईने को, हैरत में डाल दिया है…