लगता है आज ज़िन्दगी कुछ ख़फ़ा है, चलिए छोड़िये कौन सी पहली दफ़ा है..
Tag: व्यंग्य
सुना है सब
सुना है सब कुछ मिल जाता है दुआ से, मिलते हो ख़ुद… या मांगू ख़ुदा से ।।
झूठ बोलते थे
झूठ बोलते थे कितना, फिर भी सच्चे थे हम ये उन दिनों की बात है, जब बच्चे थे हम !!
जहाँ हमारा स्वार्थ
जहाँ हमारा स्वार्थ समाप्त होता हे, वही से हमारी इंसानियत आरम्भ होती हे..
बिन धागे की सुई
बिन धागे की सुई सी बन गई है ये ज़िंदगी , सिलती कुछ नहीं… बस चुभती चली जा रही है…
मुद्दत हो गयी
मुद्दत हो गयी, कोइ शख्स तो अब ऐसा मिले…!!! बाहर से जो दिखता हो, अन्दर भी वैसा ही मिले..
आशिक था एक
आशिक था एक मेरे अंदर, कुछ साल पहले गुज़र गया..!! अब कोई शायर सा है, अजीब अजीब सी बातें करता है…
जो आसानी से
जो आसानी से मिले वो है धोखा; जो मुश्किल से मिले वो है इज्ज़त; जो दिल से मिले वो है प्यार। और जो नसीब से मिले वो हैं आप।
रिश्ते टूट न जायें
रिश्ते टूट न जायें इस डर से बदल लिया है खुद को, अपनी ज़िद से ज्यादा रिश्तों को अहमियत दी है मैंने !!
नजाकत तो देखिये
नजाकत तो देखिये, की सूखे पत्ते ने डाली से कहा, चुपके से अलग करना वरना लोगो का रिश्तों से भरोसा उठ जायेगा !!