लफ्ज तेरे मिठे ही

लफ्ज तेरे मिठे ही लगते है.. आंख पढु तब दर्द समझ आता है..

थोड़ा प्यार और भिजवा दो

थोड़ा प्यार और भिजवा दो, हमने फिजूलखर्ची कर ली है….।।

अगर तुम समझ पाते

अगर तुम समझ पाते मेरी चाहत की इन्तहा….. तो हम तुमसे नही…. तुम हमसे मोहब्बत करते!!!!

गम ने हसने न दिया

गम ने हसने न दिया, ज़माने ने रोने न दिया! इस उलझन ने चैन से जीने न दिया! थक के जब सितारों से पनाह ली! नींद आई तो तेरी याद ने सोने न दिया!

छोड दी हमने

छोड दी हमने हमेशा के लिए उसकी आरजू करना… जिसे मोहब्बत की कद्र ना हो उसे दुआओ मे क्या मांगना….

आशिक था एक मेरे अंदर

आशिक था एक मेरे अंदर, कुछ साल पहले गुज़र गया..!! अब कोई शायर सा है, अजीब अजीब सी बातें करता है

बेपरवाह हो जाते है

बेपरवाह हो जाते है अक्सर वो लोग, जिन्हे कोई बहुत प्यार करने लगता है…

जरा ठहर ऐ दिल

जरा ठहर ऐ दिल, सुन…. लौट चलते हैं वापिस…. अकेले सफर में गुफ्तगू किससे होगी अब…!!

बिकती है ना खुशी

बिकती है ना खुशी कही,ना कही गम बिकता है… लोग गलतफहमी में है की,शायद कही मरहम बिकता है..

हमने तो उनसे

हमने तो उनसे बेशुमार मोहब्बत की थी…. पर उनके कुछ गुनाह ऎसे थे की आज उस मोहब्बत से बड़ी नफरत हो चुकी है..

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