तुम्हारी खुशियों के ठिकाने बहुत होंगे, मगर हमारी बेचैनियों की वजह बस तुम हो|
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ग़लतफहमी की गुंजाइश
ग़लतफहमी की गुंजाइश नहीं सच्ची मुहब्बत में जहाँ किरदार हल्का हो कहानी डूब जाती है..
मिसाल-ए-आतिश
मिसाल-ए-आतिश है ये रोग-ए-मुहब्बत … रौशन तो खूब करता है … मगर “जला जला” कर … !!
एक आँसू कोरे काग़ज़ पर
एक आँसू कोरे काग़ज़ पर गिरा और, अधूरा ख़त मुक्कमल हो गया !!!
अंजान अगर हो तो
अंजान अगर हो तो गुज़र क्यों नहीं जाते… पहचान रहे हो तो ठहर क्यों नहीं जाते
जो उनकी आँखों से
जो उनकी आँखों से बयां होते हैं, वो लफ्ज़ शायरी में कहाँ होते हैं।
पहले भी था
पहले भी था अब भी है इश्क़ हमारा बाग़ का चौकीदार हो गया|
खूबसूरती न सूरत में है
खूबसूरती न सूरत में है न लिबास में…. निगाहें जिसे चाहे उसे हसीन कर दें|
हम जिंदगी में
हम जिंदगी में बहुत सी चीजे खो देते है, “नहीं” जल्दी बोल कर और “हाँ” देर से बोल कर..
चलो इश्क़ में
चलो इश्क़ में कुछ यु अंदाज़ अपनाते हैं तुम आँखें बंद करो हम तुम्हे सीने से लगाते हैं|