अब कहां दुआओं में वो बरकतें,…वो नसीहतें …वो हिदायतें, अब तो बस जरूरतों का जुलुस हैं …मतलबों के सलाम हैं
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सजा यह मिली की
सजा यह मिली की आँखों से नींदें छीन ली उसने, जुर्म यह था कि उसके साथ रहने का ख्वाब देखा था|
रिश्ता बेवफाई से
जरुरी नहीं हर रिश्ता बेवफाई से ही खत्म हो,,,, कुछ रिश्ते किसी की ख़ुशी के लिए भी खत्म करने पड़ते है !!
करनी है खुदा से गुजारिश
करनी है खुदा से गुजारिश तेरी दोस्ती के सिवा कोई बंदगी न मिले हर जनम में मिले दोस्त तेरे जैसा या फिर कभी जिंदगी न मिले !!
मेरा खुदा एक ही है..
मेरा खुदा एक ही है…. जिसकी बंदगी से मुझे सकून मिला भटक गया था मै…. जो हर चौखट पर सर झुकाने लगा..
बेनाम सा रिश्ता
बेनाम सा रिश्ता यूँ पनपा है फूल से भंवरा ज्यूँ लिपटा है पलके आंखे, दिया और बाती ऐसा ये अपना रिश्ता है.!!!!
कौन कहता है
कौन कहता है कि आंसुओं में वज़न नहीं होता एक भी छलक जाए तो मन हल्का हो जाता है|
दीवार पर लिख गये..
बच्चे मेरे गली के बहुत ही शरारती हैं, आज फिर तुम्हारा नाम मेरी दीवार पर लिख गये..
जब से वो
जब से वो मशहूर हो गये हैं, हमसे कुछ दूर हो गये हैं…
बस यही सोच कर
बस यही सोच कर हर मुश्किलों से लड़ता आया हूँ…! धूप कितनी भी तेज़ हो समन्दर नहीं सूखा करते…।।